Monday, 2 March 2015

अफ़साना मोहब्बत का..



दिल में जगा मोहब्बत का एक अफसाना सा,
वो चेहरा एक है जो कुछ अंजाना सा,
ख्यालों का ताना बाना जब ये मन रात को बुनता है,
उसमें एक शक्ल का दीवानापन अक्सर चढ़ता  है,
वो चेहरा जो ढलते दिन की पीली सी रौशनी में,
कुछ अलग ही चमक लिए जन्नत सा नूर लगता है,
सपने भी  मेरे ऐसे हैं बिन सजाये ही सज जाते हैं,
दिल के सारे तार खुद--खुद सोज़ में बज जाते हैं,
उस शक्ल पे सारी जिंदगी बिताने को जी चाहता है,
उसके सपनों में यूँ  ही शुमार होने को जी चाहता है ,
वो मोहब्बत की लगाम थामे और जिंदगी को चलाये,
मैं कुछ  कहूँ  और वो दिल की आहटें समझ जाये ,
कोई फ़रिश्ता अब ख़ुदा का ऐसा भी आये ,
जो उसको भी मेरा दीवाना कर जाए....
जो उसको भी मेरा दीवाना कर जाए....
- कविराज

(Image courtesy : www.hdwalls.info)

No comments:

Post a Comment