Wednesday 11 March 2015

गुज़ारिशें ख़ुदा से...

कहीं जो मुझे मेरी साँसों में जान दिला  दे…
ऐ खुदा अब मुझे भी मेरा आसमान दिला  दे…
जो छू ना सका हो आज तक कोई भी इंसान ...
ऐ ख़ुदा अब मुझे वो मक़ाम दिला दे ...
मोहब्बत बहुत हसीन होती है सुना है मैंने ...
ग़र इतनी हसीन है तो दिल में बसर करने वाला कोई नाम दिला दे ...
ज़िन्दगी के मोड़ बड़े तंग हैं.. दिन  ये बड़े मुश्किल से लगते हैं ...
ऐ ख़ुदा अब तू मुझे सुकून की कोई शाम दिला  दे ...
मुझे तेरे इंसाफ पे बेशुमार अक़ीदत है ...
तू मुझपे अपनी इनायत सरेआम गिरा दे ...
कुछ ख़फा सी रहने लगी हैं ये हवाएं भी मुझसे ...
मेरी मुश्किलें कम कर तू मुझे आराम दिला  दे ...
हर सुबह तेरे ही दर पे सर झुकाके गुज़री  है ...
बहुत हुआ इंतज़ार मौला , अब तो मुझे अंजाम दिला दे ...
अब तो मुझे अंजाम दिला दे ...

- कविराज 

मक़ाम - ऊंचाई 
अक़ीदत - भरोसा 
इनायत - कृपा  

1 comment:

  1. Evoked like a sound in my heart... Very well written

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